राज ठाकड़े फिर अपने उत्तर भारतीय विरोध के कारन चर्चा में है. मनसे के नेता बिहार शताब्दी दिवस मानाने का विरोध कर रहे है. मनसे ने साफ़ साफ़ धमकी दी है की अगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस में शिरकत करने की कोशिस करते है तो इसका अंजाम बुरा होगा. मनसे के गठन से अब तक न जाने कितनी बार यह धमकी दी जा चुकी है. कई बार तो उत्तर भारतीय कामकाजी लोगों के साथ मारपीट भी की गई.
देश की प्रमुख दो पार्टी कांग्रेस और बीजेपी की चुप्पी यह साबित करती है की ये पार्टियाँ वोट बैंक की खातिर कुछ भी करने की हालत में नहीं है..
राज ठाकड़े का ये विरोध कोई नया नहीं है इसने खुद को महाराष्ट्र की राजनीति की मुख्यधारा में लाने को शुरु से ही ये सब करता रहा है.
कहने को तो ये राजनेता है परन्तु सोच अलगाववादी का रखता है .. शिवाजी को आदर्श मानता है परन्तु चलता है गिलानी और अफजल गुरु के रास्ते पर.
देश को टुकड़ों में बाटने पर अमादा इस जल्लाद को कांग्रेस नीत राज्य सरकार का अघोषित समर्थन प्राप्त है.. बिभाजनकारी नीति पर चलने वाले इस सत्ता के दलाल पर अगर समय रहते नकेल नहीं कसा गया तो ये निश्चय ही ये अखंड भारत के लिए अभिशाप साबित होगा...
धन्यवाद
अमित कुमार
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