जातिवाद का विरोध होना चाहिए ना की किसी खास जाति का. इस सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करने का प्रयास होना चाहिए ना की किसी खास जाति का. कुछ लोग ब्राह्मणवाद का विरोध करते थे मैं उनके साथ था , लेकिन ये क्या अब तो आप पिछड़ा सम्मलेन करने लगे मतलब आप भी उतना ही दोषी है जितना की एक सामंत . कंही यह सस्ती लोकप्रियता पाने का कोई नया हथकंडा तो नहीं ? आप बुद्धिजीवी है, पत्रकार है आप कोई ऐसा पहल करें जिससे लोग इस बंधन से मुक्त हों. मुझे तो लगता है जिस दिन इस देश से जाति प्रथा मिट गया उस दिन स्वत: ही देश की अधिकांश समस्या मिट जाएँगी. क्योंकि हमारे चालक राजनेता अक्सर जाति को ही ढाल बना कर बचते रहे है. इस सामाजिक बुराई का अंत जाति सम्मलेन से नहीं बल्कि इस तरह के सम्मलेन के बहिष्कार से ही होगा.
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