Thursday 12 April 2012

आम्रपाली : एक कथा


अपने सौंदर्य की ताकत से कई साम्राज्य को मिटा देने वाली आम्रपाली के रूप की चर्चा जगत प्रसिद्ध है। उस समय उसकी एक झलक पाने के लिए सुदूर देशों के अनेक राजकुमार उसके महल के चारों ओर अपनी छावनी डाले रहते थे। आम्रपाली नगरवधु थी। इसे गणिका भी कहा जाता था। उस समय गणिका का मुख्य काम होता था गणों का मनोरंजन करना उन्हें सुख पहुंचाना। इसलिए आम्रपाली को नर्तकी और वेश्या दोनों ही रूपों में याद किया जाता है।
अपने जमाने में मशहूर वैशाली की नगरवधू दो प्रसिद्ध गणिकाएं थीं। आम्रपाली औऱ वसंतसेना। आम्रपाली वैशाली की और बसंतसेना उज्जैन की थी। तब उपयोग इनका जासूसी कार्यों में भी किया जाता था। जब जासूसी करती थीं तो विषकन्याएं कहलाई जाती थीं। ये दो तरह के जासूसी कार्यों में प्रयुक्त की जाती थीं। स्थिर औऱ संचारक यानि एक जगह रहकर जासूसी करने वाली औऱ घूमघूमकर जासूसी करने वाली।
चीनी यात्री फाह्यान और ह्वेनसांग द्वारा लिखित दस्तावेजों के मुताबिक, आम्रपाली सौंदर्य की मूर्ति थी। वैशाली गणतंत्र के कानून के अनुसार हजारों सुंदरियों में आम्रपाली का चुनाव कर उसे सर्वश्रेष्ठ सुंदरी घोषित कर जनपद कल्याणी की पदवी दी गई थी।

 आम्रपाली को देखकर बुद्ध को अपने शिष्यों से कहना पड़ा कि तुम लोग अपनी आँखें बंद कर लो। वह जानते थे कि आम्रपाली के सौंदर्य को देखकर उनके शिष्यों के लिए संतुलन रखना कठिन हो जाएगा।

 मगध सम्राट बिंबसार ने आम्रपाली को पाने के लिए वैशाली पर जब आक्रमण किया तब संयोगवश उसकी पहली मुलाकात आम्रपाली से ही हुई। आम्रपाली के रूप-सौंदर्य पर मुग्ध होकर बिंबसार पहली ही नजर में अपना दिल दे बैठा। माना जाता है कि आम्रपाली से प्रेरित होकर बिंबसार ने अपने राजदरबार में राजनर्तकी के प्रथा की शुरुआत की थी। बिंबसार को आम्रपाली से एक पुत्र भी हुआ जो बाद में बौद्ध भिक्षु बना।

साभार : दैनिक भास्कर.कॉम

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