Saturday 28 April 2012

सुशासन के तालिबानी मंत्री


बिहार के स्वास्थ्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे अपने बडबोलेपन के लिए मशहूर  है. विवाद का साया हमेशा से इनके साथ रहा है अभी कुछ दिन पहले ये चर्चा में तब आये जब इन्होने बिहार के जूनियर डॉक्टरों को हड़ताल करने पर हाथ काटने की बात कही थी. उसके बाद बिहार के जूनियर डॉक्टरों ने काफी हंगामा किया था. चौबे ने बाद में अपनी सफाई में इस बात से इंकार किया की उन्होंने ऐसा कुछ बोला है. ताज़ा मामला समस्तीपुर से सम्बंधित है मंत्री जी जन स्वास्थ्य चेतना यात्रा के तहत सदर अस्पताल में स्वास्थ्य महाकुंभ का उद्घाटन करने आये थे, तभी एक फरियादी उनसे कुछ कहना चाहता था इसी क्रम में सुरक्षाकर्मियों और रघुनाथ नामक उस फरियादी में बहस हो गई बात बढ़ते बढ़ते हाथा पाई तक पहुँच गई. इसी बीच मंत्री ने उस फरियादी को गिरफ्तार करवाने की धमकी तक दे डाली. उन्होंने फरियादी को धमकी देते हुए साफ़ साफ़ कहा की बदतमीजी की तो अभी गिरफ्तार करवा दूंगा. फरियादी जो की माकपा का स्थानीय नेता भी है मंत्री से मिल कर इस बात की शिकायत करना चाहता था की डॉक्टर ने घूस ले कर इंजुरी रिपोर्ट के बदले नॉर्मल रिपोर्ट बना दिया है. वह मंत्री जी का ध्यान स्थानीय समस्याओं के तरफ भी खींचना चाहता था. लेकिन मंत्री जी ने बिना कुछ सुने फरियादी की जमकर खबर ली.बाद में मंत्री ने घटना की व्यख्या करते हुए बताया की उन्हें लगा की आतंकवादी हमला हो गया है, उन्होंने लगे हाथ ये भी बोल दिया की जब इंदिरा गाँधी की  हत्या उतने सुरक्षाकर्मियों  के रहते हो सकता है तो फिर मैं क्या हूँ. मालूम हो की मिथिलांचल आज कल कथित आतंकवादियों की गिरफ़्तारी की वजह से  देश भर में चर्चा में है. लोगों का मानना है की मंत्री जी इसी कारन अन्दर से डरे हुए थे. बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा की मैं आतंकवादियों से नहीं डरता गाँव गाँव भ्रमण का  मेरा उद्देश्य भी यही है.
बाद में उन्होंने विवाद से बचने के खातिर सुरक्षाकर्मियों को हिदायत दी की आइन्दा इस तरह से फरियादियों को नहीं रोका जाये. बाद में उन्होंने शिकायतकर्ता को इसकी निष्पक्ष जांच का भी आश्वासन दिया. लेकिन स्थानीय स्तर पर मामला गरम हो चूका है. फरियादी की पहचान एक ईमानदार सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में है इसलिए स्थानीय लोगों में इस बात का काफी रोष है.
अब सवाल ये है की मंत्री जी को एक फरियादी और आतंकवादी में कोई अंतर क्यों  नहीं नजर आया ? आतंकवादी आवेदन ले कर फरियाद करने नहीं आते बल्कि उनका तरीका कुछ और होता है. लोगों का कहना है की भ्रष्टाचार की शिकायत ले कर पहुंचे जनता से मंत्री का इस तरह का सुलूक निंदनीय है.
मंत्री जी को यदि अपनी जान की इतनी ही परवाह है तो उन्हें पद से त्यागपत्र  दे कर घर में बैठना चाहिये.
मजे की बात तो ये है की प्रिंट मीडिया सुशासन की नकारात्मक अन्य खबरों  की तरह इस को भी दबाने में सफल रही.
मंत्री जी आपको मालूम होना चाहिये की हाँथ काटने या फिर गिरफ़्तारी की धमकी से जनता नहीं डरती क्यों की आज आप जिस कथित सुशासन में लोगों को हाँथ काटने या फिर गिरफ्तार करने की धमकी दे रहें है वो वो शक्ति आम जनता के द्वारा ही दिया हुआ है.   

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